Health Pridiction

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ज्योतिष एवं स्वास्थ्य - Health predictions


चिकित्सा ज्योतिष के विषय में ज्योतिष शास्त्र में बहुत कुछ लिखा गया है. कुछ नियम पुराणों में भी दिए गए हैं. विष्णु वेद-पुराण के अनुसार भोजन करते समय जो नियम दिए गए हैं वह हमें बताते हैं कि भोजन करते समय व्यक्ति को अपना मुख पूर्व दिशा या उतर दिशा में रखना चाहिए और ऎसा इसलिए क्योंकि उससे पाचन क्रिया अनुकूल बनी रहती है.

ईश्वर ने पृथ्वी का निर्माण किया तभी से मनुष्य को बुद्वि, विवेक, ज्ञान एवं विज्ञान दिया ताकि मानव स्वयं अपनी रक्षा कर सके. मानव ने अपने जीवन को स्वस्थ व सुचारू रूप से चलाने के लिए ज्ञान व विज्ञान की सहायता से नवीन खोजें की तथा ये जाना कि उनके लिए क्या सही है क्या गलत. इस पृथ्वी पर शायद ही कोई ऐसा मानव होगा जिसे कोई रोग न हो. हिन्दू धर्मग्रंथों में स्वास्थ्य व रोग तथा उनसे बचने के उपायों का वर्णन मिलता है. साथ ही साथ ज्योतिषीय आधार पर कई ग्रंथों में छुपे हुए रोगों के विषय में जानकारी प्राप्त करने के सिद्वान्तों का वर्णन मिलता है. वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार की चिकित्सा पद्वतियों का अविष्कार हो चुका है. जैसे : एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथिक, एक्यूप्रेशर योग इत्यादि, इन सब का मुख्य उद्देश्य मानवता की रक्षा करना है वही हमारा ज्योतिष शास्त्र भी इस उद्देश्य से पीछे नहीं है. हमारे प्राचीन ऋषियों, मुनियों ने जो खोजें की वे आज भी सार्थक है. स्वस्थ मनुष्य के शरीर में उसका प्रत्येक अंग सही व सुचारू रूप से कार्य करता है यदि वही सब सुचारू न चले तो रोग कहलाता है.|

ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रह शरीर के किसी न किसी अंग का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन्हीं ग्रहों के प्रभाव स्वरुप हमें फल प्राप्त होते हैं और स्वास्थ्य का हाल जाना जा सकता है. जब कोई भी ग्रह पीड़ित होकर लग्न, लग्नेश, षष्ठम भाव अथवा अष्टम भाव से सम्बन्ध बनाता है. तो ग्रह से संबंधित अंग रोग प्रभावित हो सकता है.


प्रत्येक ग्रह शरीर के किसी न किसी अग को प्रभावित अवश्य करता है या उससे संबंधित बिमारी को दर्शाता है. जैसे सूर्य ह्रदय, पेट. पित्त , दायीं आँख, घाव, जलने का घाव, गिरना, रक्त प्रवाह में बाधा आदि को दिखाता है.


चंद्रमा शरीर के तरल पदार्थ, रक्त बायीं आँख, छाती, दिमागी परेशानी, महिलाओं में मासिक चक्र की अनिमियतता इत्यादि का द्योतक होता है. मंगल- सिर, जानवरों द्वारा काटना, दुर्घटना, जलना, घाव, शल्य क्रिया, आपरेशन, उच्च रक्तचाप, गर्भपात इत्यादि.


बुध - गले, नाक, कान, फेफड़े, आवाज, बुरे सपनों का . गुरु - यकृत शरीर में चर्बी, मधुमेह, कान इत्यादि का शुक्र - मूत्र में जलन, गुप्त रोग, आँख, आंतें , अपेंडिक्स, मधुमेह, मूत्राशय में पथरी आदि का. शनि पांव, पंजे की नसे, लसीका तंत्र, लकवा, उदासी, थकान का, राहु - हड्डीयों, जहर , सर्प दंश बीमारियां, डर आदि और केतु - हकलाना, पहचानने में दिक्कत, आंत, परजीवी इत्यादि को दर्शाता है.


उपरोक्त ग्रहों में जो ग्रह छठे भाव का स्वामी हो या छठे भाव के स्वामी से युति सम्बन्ध बनाए उस ग्रह की दशा में रोग होने के योग बनते हैं. छठे भाव के स्वामी का सम्बन्ध लग्न भाव लग्नेश या अष्टमेश से होना स्वास्थ्य के पक्ष से शुभ नहीं माना जाता है. जब छठे भाव का स्वामी एकादश भाव में हो तो रोग अधिक होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इसी प्रकार छठे भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो तो व्यक्ति को लंबी अवधि के रोग होने की अधिक संभावनाएं रहती हैं.


मेष राशि | Aries Sign

सिर या मस्तिष्क की कारक है. यह राशि मस्तिष्क, मेरूदण्ड तथा शरीर की आंतरिक तंत्रिकाओं पर प्रभाव डालती है यदि मंगल नीच का हो अथवा इस पर बुरे ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक को इस ग्रह से संबंधीत बिमारीयों का सामना करना पड़ सकता है.


वृषभ राशि | Taurus Sign

यह मुख की कारक राशि है तथा इसका स्वामी शुक्र है. इसके प्रभावित होने पर व्यक्ति को होने पर मुंह संबंधी बीमारी छाले, तुतलाहट या हकलाना, बोलना में दिक्कत आदि की शिकायत रहती है.


मिथुन राशि | Gemini Sign

मिथुन राशि का स्वामी बुध है यह वक्ष, छाती, भुजाओं व श्वास नली की कारक है. यदि

यह ग्रह कुण्डली में नीच का हो या अन्य क्रूर ग्रहों से पीड़ित हो तो व्यक्ति को फेफ़डों से संबंधित रोग जैसे टी.बी, सांस लेने में दिक्कत, गैस व अपच या माँस पेशियों से संबंधित रोग हो सकते हैं.


कर्क राशि | Cancer Sign

इस राशि का स्वामी चन्द्रमा है. यह राशि मन व हृदय की कारक है यदि कुण्डली में चन्द्रमा नीच का या पीड़ित हो तो जातक को मानसिक तनाव अवसाद, त्वचा व पाचन संस्थान पर विपरीत प्रभाव जैसे रोगों का सामना करना पड़ सकता है.


सिंह राशि | Leo Sign

सिंह राशि का स्वामी सूर्य है. यह राशि गर्भ व पेट की कारक है इस राशि के या इसके ग्रह के प्रभावित होने पर रक्त संचार शक्ति प्रभावित हो सकती है. ह्वदयाघात, हडि्डयों की बीमारी व नेत्र रोग भी परेशान कर सकते हैं.


कन्या राशि | Virgo

इस राशि के स्वामी बुध है तथा यह पेट व कमर के कारक हैं. बुध नीच का या अन्यथा बुध पीड़ित होने पर पेट, पाचन क्रियाएं, यकृत संबंधित रोग एवं गुप्त रोगों का खतरा हो सकता है.


तुला राशि | Libra Sign

तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं. इसके पीड़ित या नीचस्थ होने पर व्यक्ति को जननांग व मूत्राशय संबंधित रोगों प्रभावित कर सकते हैं. महिलाओं के मासिक धर्म व गर्भ धारण संबंधी क्रिया भी इसी के कारण प्रभावित होती है.


वृश्चिक राशि | Scorpio Sign

वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं. यह राशि गुप्तांगों की कारक है, पीड़ित होने पर या नीच में स्थित होने पर गुदा, लिंग, जननांग, यकृत, मस्तिष्क संबंधी व आंत संबंधी रोग परेशान कर सकते हैं.


धनु राशि | Sagittarius Sign

धनु राशि के स्वामी बृहस्पति है. यह राशि जांघों व नितम्ब की कारक है नीचस्थ व पीड़ित गुरू जातक को लीवर, ह्वदय, आंत, जंघा, कूल्हे व बवासीर रोगों से ग्रसित रखते हैं .


मकर राशि | Capricorn Sign

मकर राशि के स्वामी शनि है, यह राशि घुटनों की कारक है. यदि शनि नीचस्थ या पीड़ित हो या राशि के प्रभावित होने पर जातक को घुटनों, जांघ, पाचन संबंधी बीमारियों घेर सकती हैं. इसके अलावा पुरानी बीमारीयां परेशान कर सकती हैं.


कुम्भ राशि | Aquarius Sign

इस राशि के स्वामी भी शनि देव हैं. यह राशि पिण्डलियों की कारक है शनि के पीड़ित या नीचस्थ होने पर व इस राशि के पीड़ित होने पर व्यक्ति को पिण्डलियों, उच्च रक्तचाप, हर्निया की बिमारी परेशान कर सकती है.


मीन राशि | Pisces Sign

मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं. यह राशि पैर के पंजों की कारक मानी जाती है. इस राशि के स्वामी के पीडी़त होने पर व्यक्ति को पैर के पंजों, लीवर या घुटनों से संबंधी बिमारी का सामना करना पड़ सकता है.


किसी भी रोगी जातक की कुंडली का विश्लेषण करते समय सबसे पहले 3, 6 8 भावों के ग्रहों की शक्ति का आंकलन करना चाहिए. जन्मकुंडली के अनुसार शरीर का विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाव और उनसे मुक्ति प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं. लेकिन इसके साथ ही साथ कुण्डली में रोगों का अध्ययन करते समय इन तथ्यों का अध्ययन करते हुए ग्रहों की युति, प्रकृति, दृष्टि, उनका परमोच्चा या परम नीच की स्थिति का भी अध्ययन आवश्यक है तभी हम किसी निर्णय पर पहुंच सकते हैं.



benifits of services

सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियां :

  • अश्वगंधा  :
    आयुर्वेद के अनुसार अश्वगंधा एक रसायन औषधि है और यह पुरुषों के शरीर में सभी धातुओं की मात्रा बढ़ा देती है। इसके सेवन से खासतौर पर शुक्र धातु की मात्रा काफी बढ़ जाती है। इसके नियमित सेवन से शरीर की उर्जा बढ़ती है, वीर्य बढ़ता है और सेक्स के दौरान आप जल्दी थकते नहीं हैं।
  • शिलाजीत  :
    आयुर्वेद में शिलाजीत को शक्तिवर्धक और वीर्यवर्धक औषधि माना गया है। यह शरीर की यौनशक्ति बढ़ाने में बहुत उपयोगी है। इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए इसके सेवन के दौरान ज्यादा तली भुनी चीजें,खटाई और अधिक नमक वाली चीजों से परहेज करना चाहिए। सेक्स के दौरान अगर आपको ज्यादा कमजोरी महसूस हो रही है तो आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार शिलाजीत का सेवन तुरंत शुरु कर दें।
  • सफेद मूसली  :
    सफेद मूसली एक ऐसी जड़ी बूटी है जो सेक्स पावर बढ़ाने के लिए बहुत प्रचलित है, इसे हर्बल वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है। सफेद मूसली का इस्तेमाल यूनानी, होम्योपैथी और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में काफी पहले से होता रहा है। यह एक प्रकार की जड़ें होती हैं। इसे यौन दुर्बलता, नपुंसकता और शीघ्रपतन जैसी बीमारियों के इलाज में प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सफेद मूसली मुख्य रुप से वात और पित्त दोष पर काम करती है और कफ दोष को बढ़ाती है।
  • त्रिफला  :
    आमला, बहेड़ा और हरड इन तीन तरह के औषधियों के मिश्रण को त्रिफला कहा जाता है। यह वजन कम करने, कब्ज़ दूर करने के अलावा सेक्स पावर बढ़ाने में बहुत असरकारक औषधि मानी जाती है। इसे चूर्ण के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। जो लोग सेक्स करते समय बहुत जल्दी थक जाते हैं उन्हें इस जड़ी बूटी का सेवन नियमित रुप से करना चाहिए। प्रायः ऐसा देखा गया है कि सेक्स से जुड़ी कई समस्याएं पाचन तंत्र में खराबी की वजह से होती हैं. ऐसे में आप त्रिफला का इस्तेमाल पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए भी कर सकते हैं.
  • कौंच बीज चूर्ण  :
    यह झाड़ियों में पाए जाने वाला एक औषधीय पौधा है। इस पौधे के बीजों का इस्तेमाल सेक्स पॉवर बढ़ाने और नपुंसकता के इलाज में किया जाता है। जो लोग सेक्स करते समय बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस कर रहे हैं उनके लिए यह औषधि एक वरदान की तरह है। आयुर्वेद के अनुसार कौंच के बीजों का स्वभाव गुरु और स्निग्ध होता है और इसे वातनाशक और कफपित्तवर्धक माना जाता है।

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